तमाम ग्राम पंचायतों में प्रधान और सचिव ने मिलकर किए खेल अधूरे पड़े शौचालय
बड़े अफसरों ने ताबड़तोड़ निर्देश दिए, शौचालय निर्माण का काम तेजी से पूरा करने के दावे किए गए, लेकिन फिर भी मन की बात पूरी नहीं हो सकी। दो अक्तूबर को देश के साथ जिले को ओडीएफ घोषित करने के प्रधानमंत्री के दावे को अफसरों ने अंगूठा दिखा दिया। आज भी जिले के सात गांव सत्यापन के लिए लंबित हैं।
जिले में ओडीएफ की आड़ में घोटालों का बड़ा खेल चला। तमाम ग्राम पंचायतों में प्रधान और सचिव ने मिलकर खेल किए। ग्राम सभा टिडौली, नौनेर कल्होर पछां और बुर्रा के अलावा कई अन्य गांवों में तो शौचालय के नाम पर लाखों का घोटाला हुआ। कई सचिव निलंबित हुए तो दो तीन प्रधानों के अधिकार सीज हो गए।
जिले में गुजरे दो साल से स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच मुक्ति अभियान में जमकर काम करने के वादे गढ़े। 1.84 लाख से ज्यादा शौचालय बनवाने के दावे किए गए, लेकिन हकीकत इससे जुदा है। अफसरों ने आनन-फानन में 30 अक्तूबर 2018 को जिला को ओडीएफ घोषित कर दिया, जबकि आज अभी ऐसे गांवों में शौचालय अधूरे पड़े हैं।
वहीं, तमाम गांवों में तो शौचालय ध्वस्त हो चुके हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अक्तूबर को देश को ओडीएफ करने की बात कही। इसके बाद जिले के अफसर एक्शन मोड में आए। डीएम ने सभी गांवों में 20 सितंबर तक शौचालयों का निर्माण पूरा करने के निर्देश दिए थे, लेकिन निर्देशों पर अमल नहीं हो सका। इसके बाद यह समय और बढ़ाया गया, इसके बाद भी यह काम पूर्ण नहीं हो सका। ऐसे में जिला बुधवार को पूरे देश के साथ ओडीएफ नहीं हो सका।
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