वार मूवी रिव्यु : सिर्फ एक्शन नहीं, दमदार सस्पेंस भी हैं
निश्चित रूप से भारतीय फिल्मों में भी बेहतरीन एक्शन सीन देखने को मिलते हैं, लेकिन इन एक्शन दृश्यों को पिरोने के लिए एक अच्छी कहानी की भी जरूरत पड़ती है और वहीं पर भारतीय फिल्में मार खा जाती हैं।
इन दिनों बॉलीवुड में बड़े बजट की एक्शन फिल्म बनाने की होड़ मची हुई है। विदेश से स्टंट डायरेक्टर्स बुलाए जाते हैं जो कमाल के एक्शन सीन रचते हैं। एक-एक स्टंट पर ही करोड़ों रुपये फूंक दिए जाते हैं और हॉलीवुड की एक्शन फिल्मों जैसा एक्शन दिखाने की कोशिश की जाती है।
वॉर में भी तीन-चार बेहतरीन एक्शन डायरेक्टर्स हैं, जिन्होंने पुर्तगाल में, इराक में, माल्टा में शानदार एक्शन सीन फिल्माए हैं। कार या मोटर बाइक द्वारा एक-दूसरे का पीछा करना हो या चलते हवाई जहाज में फाइटिंग सीन हो, बढ़िया तरीके से फिल्माए हैं, लेकिन कमजोर कहानी के कारण वॉर उन उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती जिसकी अपेक्षा लेकर दर्शक टिकट खरीदते हैं।
कहानी है कबीर (रितिक रोशन) नामक भारतीय एजेंट की जो इलियास नामक आतंकी के पीछे पड़ा हुआ है। अचानक कबीर विद्रोही बन जाता है। वह अपने ही लोगों को मारने लगता है।
कबीर को पकड़ने का जिम्मा खालिद (टाइगर श्रॉफ) को दिया जाता है जिसे कबीर ने ही तैयार किया है। कबीर और खालिद के बीच अजीब सा रिश्ता है। खालिद के गद्दार पिता का कत्ल कबीर ने ही किया था।
कबीर विद्रोही क्यों बन गया? क्या खालिद बदला लेने के लिए कबीर के नजदीक गया है? क्या इलियास को कबीर पकड़ पाएगा? इन सारे सवालों के जवाब फिल्म में मिलते हैं।
फिल्म की शुरुआत बेहतरीन है। आधे घंटे में ही बहुत कुछ घट जाता है और फिल्म सरपट दौड़ती नजर आती है। सारे पत्ते तुरंत खोल दिए जाते हैं। रितिक की एंट्री वाला सीन जबरदस्त है और दर्शक चौंक जाते हैं क्योंकि रितिक के किरदार से ऐसी उम्मीद नहीं रहती।
टाइगर श्रॉफ का एंट्री सीन फिल्म का सर्वश्रेष्ठ एक्शन सीन है। इसे बिना कट के एक ही बार में फिल्माया गया है और यह सीक्वेंस टाइगर की एक्शन पर पकड़ को दर्शाता है।