जानिए कैसे मायावती का खेल बिगाड़ेगी रावण की नई आजाद समाज पार्टी ?
चंद्रशेखर ने रविवार को अपनी राजनीतिक पार्टी का ऐलान कर दिया है जिसका नाम आजाद समाज पार्टी (एएसपी) रखा है. विवार को नोएडा में उन्होंने इसकी आधिकारिक घोषणा की।पार्टी की घोषणा के लिए बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयंती को चुना. सेक्टर 70 स्थित बसई गांव में संविधान की शपथ लेकर उन्होंने पार्टी गठन की घोषणा की।
चंद्रशेखर की नजर दलित समुदाय और बसपा के वोटबैंक पर है. इस दौरान बसपा के कई नेता आजाद समाज पार्टी में शामिल हुए। चंद्रशेखर की पार्टी के झंडे का रंग नीला रखा गया है। मायावती की पार्टी के झंडे का रंग भी नीला है।
दरअसल मायावती और चंद्रशेखर एक ही जाति से आते हैं और एक ही क्षेत्र से हैं. दोनों जाटव समाज से संबंध रखते हैं. ऐसे में जाटव समाज के वोट में बंटवारे से सीधा नुकसान मायावती की बीएसपी को हो सकता है. अब प्रदेश में सियासी गणित में दलित वोटबैंक के बीच तगड़ा घमासान मचेगा. क्योंकि दो बड़े दलित नेता चंद्रशेखर और मायावती के दो दल हो गए है.
पार्टी के नाम की घोषणा के समय बड़ी संख्या में भीम आर्मी के कार्यकर्ता और नेता मौजूद रहे। ये भी बताया जा रहा है कि कार्यक्रम में शामिल होने के लिए और सदस्यता ग्रहण करने के लिए 28 पूर्व विधायक और 6 पूर्व सांसद भी पहंचे थे। हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
माना जा रहा है कि चंद्रशेखर का यह कदम पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा करेगा और इससे एक नए समीकरण बन सकता है। कहा जा रहा है कि चंद्रशेखर मायावती के लिए मुश्किल बन सकते हैं। मायावती कई बार आरोप लगा चुकी हैं कि चंद्रशेखर सत्ताधारी दल के इशारे पर काम कर रहे हैं। मायावती और चंद्रशेखर एक ही जाति से आते हैं। दोनों जाटव समाज से संबंध रखते हैं। ऐसे में जाटव समाज के वोट में बंटवारे से सीधा नुकसान मायावती की बीएसपी को हो सकता है।
दरअसल हाल के कुछ वर्षों में दलितों का उत्तर प्रदेश में बीएसपी से मोहभंग होता दिखा है. दलितों का एक बड़ा धड़ा अब मायावती के साथ नहीं है. लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में ये धड़ा बीजेपी के साथ दिखा. लेकिन जिस तरह से दलित एक्ट में संशोधन हुआ, उससे ये वर्ग बीजेपी को लेकर पसोपेश में है. ऐसे में चंद्रशेखर ने अपनी नई सियासी पार्टी का ऐलान करके अपने राजनीतिक मंसूबे जाहिर कर दिए हैं.
