हम भारतीय (हिंदू पढ़ें) कमाल के लोग हैं। अद्भुत अल्पजीवी स्मरणशक्ति है हमारी

हम भारतीय (हिंदू पढ़ें) कमाल के लोग हैं। अद्भुत अल्पजीवी स्मरणशक्ति है हमारी। मात्र 70 वर्षों में हमने कितनी प्रगति की है?

1947 के ज़ख्म हरे थे, लोग जानते थे कि भारतमाता का आंचल किसने और क्यों फाड़ा, तो युसूफ खान को दिलीप कुमार बनना पड़ा था, महजबीन बानो को मीना कुमारी…और यह सूची लंबी है।

आज, जब आजादी की हीरक जयंती मनने वाली है, तो कथित सेलिब्रिटी लंगड़े तैमूर और अफीमची-शराबी अय्याश जहांगीर के नाम अपने बेटों को देती है, जिन्होंने हजारों नहीं लाखों हिंदुओं को हलाक किया, बलात्कार किया, जिना किया और उनको अपने मजहब में लाए।

मजे की बात यह कि ये काम उस पंजाबी जड़ों वाली औरत ने किया है, जिसको और कुछ नहीं तो गुरु अर्जुनदेव के बलिदान का तो सोचना चाहिए था। उसके पति का भला क्या दोष? वह तो अपने मजहबी दायित्व को ही पूरा कर रहा है।

तैमूर और जहांगीर उसके हीरो हैं ही, अफसोस आप उसके फैन हैं, जिसने ये नाम रखे हैं।

पुनश्च: बाबर को महिमामंडित करने के लिए एक फिल्म आ रही है, एंपायर नाम की। खिलजी को प्रेमी बनाया ही जा चुका है। स्टालिन तो खैर एक राज्य के मुख्यमंत्री ही हैं, बस मुसोलिनी, हिटलर और ईदी अमीन इत्यादि बच गए हैं। ReportSwami Vyalok

Ratnesh Yadav
Author: Ratnesh Yadav

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