समाजवादी पार्टी का खेल बिगाड़ने के लिए ओवैसी और भाजपा एक
आज से छह साल पहले कोई यूपी-बिहार या बंगाल में ये कहता कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी उनके यहां चुनाव में सीटें जीत सकती है तो आम मतदाता भी ऐसा कहने वाले का मजाक बनाता। लेकिन, अब ऐसी स्थिति नहीं है। ओवैसी और उनकी पार्टी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है।
खासतौर पर मुस्लिम वोटरों के बीच वजह ओवैसी का भाजपा एंड नरेंद्र मोदी के खिलाफ दिया जाने वाला भाषण।अब तो भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने भी कहा है कि ओवैसी ने बिहार में भाजपा की मदद की थी। अब वो उत्तर प्रदेश में हमारी मदद करने आए हैं और बंगाल में भी कर चुके है। साक्षी महाराज ने यूपी में होने वाले पंचायत चुनाव से पहले शुरू हुए ओवैसी के चुनाव अभियान पर ये टिप्पणी की थी।
ओवैसी पर भाजपा विरोधी पार्टियां अक्सर ये आरोप लगाती रहती हैं। नवंबर में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के बाद तो कई एक्सपर्ट भी कहते हैं कि राज्य में ओवैसी और उनकी पार्टी महागठबंधन के सत्ता से दूर रहने का एक बड़ा फैक्टर थी।बिहार में मिली सफलता के बाद ओवैसी ने सबसे पहले बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया और दोनों जगह ओवैसी की पार्टी ने कही न कही भाजपा को फायदा पहुंचाया।
वही हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत चुनाव में जो भूमिका ओवैसी की पार्टी ने पहुंचाई वो कही न कही भाजपा की B टीम होने का उदाहरण भी हैै खैर जो भी हो पर यदि भाजपा को यदि उत्तर प्रदेश के 2022 के चुनाव में कोई पार्टी चुनौती ही नही बल्कि पूरी तरह से टक्कर देती नजर आ रही है
भाजपा के आलाकमान के चिंता की वजह यदि कोई दल है तो वो वही समाजवादी पार्टी है और ऐसे में इस दो दल के आपसी टक्कर में ओवैसी की पार्टी का मैदान में आना कही न कही भाजपा के लिए प्लस पॉइंट होगा, क्योकि ओवैसी की पार्टी को वोट सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम देंगे और ओवैसी को वोट देने का अर्थ है कि भाजपा को जीत के करीब पहुंचाना।
इसलिये उत्तर प्रदेश के नागरिकों से निवेदन है कि…..ओवैसी के दल के झांसे में न आएं भाजपा को हराने के लिए सपा को जिताये।
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