बंटाई पर खेत देना है तो भरना पड़ेगा टैक्स
केंद्र सरकार ने ऐसे किसानों को नहीं बख्शा है, जो खुद तो खेती करते नहीं हैं, बल्कि अपनी खेती को साल के हिसाब से बटाई या फिर कांट्रैक्ट फॉर्मिंग पर तीसरे व्यक्ति को देते हैं। उन्हें इससे होने वाली आय पर 18 फीसदी जीएसटी देना होगा। जीएसटी की व्यवस्था में सिर्फ उन्हीं को राहत दी गई है जो जमीन का उपयोग अपने उपयोग या बिक्री के लिए फसल उगाने में करेंगे। खेती के लिए दूसरे को जमीन देने वाले को कारोबारी मानते हुए उसे 18 फीसदी के स्लैब में रखा गया है। इसके साथ ही ऐसे किसान को जीएसटी के तहत अपना रजिस्ट्रेशन भी कराना होगा। इतना ही नहीं, उन्हें भी व्यापारियों की तरह हर साल 37 रिटर्न फाइल करने होंगे।
बंटाई पर देने वाले को इनपुट क्रेडिट की भी सुविधा नहीं बंटाई पर देने वाले को इनपुट क्रेडिट की भी सुविधा नहीं होगी। ऐसे में इस बोझ का अधिकांश हिस्सा खेती करने वाले पर ही पड़ेगा जो पहले से ही बेहद दबाव में हैं। खेती में बढ़ते नुकसान को देखते हुए बहुत से लोग इन दिनों खुद दूसरा काम कर रहे हैं
क्योंकि इससे उसकी लागत थोड़ी कम हो जाती है। सिर्फ उनको छूट होगी जिनकी सालाना आमदनी 20 लाख से कम हो। 1,60,000 मासिक से ज्यादा की आय पर जीएसटी देनी होगी। उत्तर पूर्व के राज्यों के लिए यह सीमा 10 लाख सालाना है।
बड़े किसान कराते हैं कांट्रैक्ट फॉर्मिंग
पूरे देश में ऐसे लाखों किसान हैं, जिनके पास 2-3 एकड़ से ज्यादा की खेती है। ऐसे किसान अक्सर अपनी खेती को बटाई या फिर किसी कंपनी को काट्रैक्ट पर दे देते हैं। इससे किसानों को साल की समाप्ति पर एक मुश्त पैसा मिल जाता है और किसी तरह की कोई लागत भी नहीं लगती है।
क्यों चिंताजनक
जमीन बंटाई पर देने वाला व्यक्तिया तो अपना काम छोड़ कर खेती करने को ही मजबूर होगा। या फिर इस टैक्स का पूरा या अधिकांश बोझ खेती करने वाले पर डालेगा।
सरकार ने यह भी तय किया है कि जो किसान अपनी सब्जियों या फिर अन्य उपज को खुले मार्केट में बेचते हैं, उनसे किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगेगा। लेकिन अगर इस उपज को किसी ब्रांड के तहत बेचा तो उस पर 5 फीसदी टैक्स देना होगा।
सरकार की दलील
नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद्र ने बताया कि यह तभी लागू होगा जब उसकी आमदनी जीएसटी की सालाना छूट सीमा से ऊपर होगी। छोटी जोतों वाले इसमें नहीं आएंगे।
डेयरी, पॉल्ट्री आएंगे जीएसटी के दायरे में
सरकार ने साफ किया है कि डेयरी बिजनेस, मुर्गी पालन, भेड़-बकरी का पालन करने वालों को जीएसटी के दायरे में लाया गया है। जीएसटी में ताजा दूध बेचने पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन दूध पाउडर और टेट्रा पैक में बिकने वाले दूध पर 5 फीसदी टैक्स देना होगा।