जब रोटी मांगी तब गालियां मिली अब शहीदों के लिए चंदा इकट्ठा हो रहा है
चलिए उन परजीवी हिजड़ो को बताता हूं जो कह रहे है शहीदो की जाति न देखे , जवानो मे जाति न देखे!! ये हिजड़े इसीलिए कहते हैं कि इनकी पोल खुल जायेगी कि इन कायरो के जाति का जवान शहीद नही है।।
शहर के मकान मे बैठकर विडियो गेम खेलने वाले कायरो को युद्ध चाहिए । हरमियो तुम्हे युद्ध चाहिए तो करो न सरकार से मांग कि युद्ध करवाये और लड़ने के लिए तुम खुद सीमा पर जाओगे । इनका राष्ट्रवाद एसी मे बैठी हुई मीडिया , वीर रस की कविताओ , एलबम बनाकर गानो भर तक रह जाता है ।
जवान मे जाति न देखने वाले तब जाति देखने लगे थे जब 56 SDM यादव थे, उन्हें तो छोड़ो उनके बाद एक जवान ने फौज के खाने पर सवाल उठाया था ।
भाई Tej Bahadur Yadav व उनकी पत्नी Sarmila Yadav जी के खिलाफ तुमने गालियों से ट्रोल तक किया था । तब कहा गया था तुम्हारा राष्ट्रवाद और देशभक्तति जब एक जवान सिर्फ भरपेट खाने की मांग कि थी ।
ये शहरी परजीवी वीर रस की कविताए कहने वाले , बड़ा बड़ा शब्दो का उद्घोष करने वाले बड़े कुठिंत लोग है
जवानो का दर्द किसान वर्ग से पूछो.. इधर उनकी फसल बर्बाद होती है उधर बेटा शहीद होता है.. इधर जमीने लूट रही है उधर आशियाना ।
और जब वही जवान रोटी खाने की आवाज उठा देता है तो तुम्हे मरोड़ आने लगता है । उंन्ही रोटियो की मांग करता है जिन्हे उसका बाप पैदा करता है । कितने हरामखोर कुठिंत दलिद्र हो तुम फिर भी बेशर्मी से बड़ी बड़ी बाते करते हो ।
यही रोटी की मांग करने वाला जवान को तुम्हारी सरकार फौज से बाहर निकालती है और फिर एक दिन उसके एकलौते बेटे को भी राजनितिक प्रशानिक तरीके से परेशान करके मार डालते हो ।
तेज बहादुर भाई इसके सटीक उदाहरण है और फिर भी देश और फौज के प्रति उनका प्रेम त्याग बना हुआ है । हम इसी मिट्टी से निकले है, इसी मिट्टी रहे और इसी मिट्टी किये और खाये है
उसका दर्द हम जानते हे तुम्हारी तरह पाइप से निकाल कर किसी हास्पिटल के शीशे नही पले है और न ही पाऊडर और पैकेट का प्रोडक्ट खाये है । तुम बस एक एहसान करो अपना भाषण , कविताए , गाना, फिल्मे , अपनी मीडिया अपने पिछवाड़े में डाल लो। आधी समस्याए खत्म हो जायेगी ।